किसी भी शहर का विकास पूँजी और श्रम के द्वारा होता है। हमारे समाज में पूँजी की महत्ता तो है परंतु श्रम की नहीं और महिलाओं के श्रम का तो कोई मोल ही नहीं। दिल्ली को बनाने में लाखांे श्रमिकांे का श्रम लगा है परंतु वे अदृश्य हैं। ये श्रमिक आज इस बड़े शहर के निर्माण स्थल, मलिन एवं अनियोजित बस्तियों में बहुत ही बुरी स्थितियों में रहने को मजबूर हैं।
Documentation on women construction workers